यजुर्वेद (अध्याय 11)
द्र्व॑न्नः स॒र्पिरा॑सुतिः प्र॒त्नो होता॒ वरे॑ण्यः। सह॑सस्पु॒त्रोऽअद्भु॑तः ॥ (७०)
हे अग्नि! आप धनवान, घी पीने वाले, होता, श्रेष्ठ, अद्भुत व साहस के पुत्र हैं. आप इस यज्ञ को सफल बनाने की कृपा कीजिए. (७०)
O agni! You are rich, ghee drinker, hota, superior, wonderful and courageous son. Please make this yajna a success. (70)