यजुर्वेद (अध्याय 12)
अस्ता॑व्य॒ग्निर्न॒राꣳ सु॒शेवो॑ वैश्वान॒रऽऋषि॑भिः॒ सोम॑गोपाः। अ॒द्वे॒षे द्यावा॑पृथि॒वी हु॑वेम॒ देवा॑ ध॒त्त र॒यिम॒स्मे सु॒वीर॑म् ॥ (२९)
अग्नि यजमानों के द्वारा सेवन योग्य हैं. अग्नि विद्वानों के द्वारा स्तुति किए जाने योग्य हैं. अग्नि नायक और सोम पालक हैं. हम द्वेष रहित स्वर्गलोक व पृथ्वीलोक का आह्वान करते हैं. हे देव! आप हमें सुवीर बनाइए और हमारे लिए धन धारिए. (२९)
Fire hosts are worth consuming. Fire is worthy of praise by scholars. Agni Nayak and Som are guardians. We call for a paradise and earth without malice. O God! You make us beautiful and have money for us. (29)