हरि ॐ

यजुर्वेद (Yajurved)

यजुर्वेद 18.46

अध्याय 18 → मंत्र 46 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

यजुर्वेद:
यास्ते॑ अग्ने॒ सूर्ये॒ रुचो॒ दिव॑मात॒न्वन्ति॑ र॒श्मिभिः॑। ताभि॑र्नोऽअ॒द्य सर्वा॑भी रु॒चे जना॑य नस्कृधि ॥ (४६)
हे अग्नि! आप से सूर्य स्वर्गलोक को चमकाते हैं. सूर्य की किरणें स्वर्गलोक को चमकाती हैं. उन देव की किरणें आज सभी को चमकाएं व प्रकाशित करं. सभी को तेजस्वी बनाने के लिए प्रकाशित हों. (४६)
O agni! From you, the sun shines heaven. The rays of the sun shine to heaven. May the rays of those gods shine and illuminate everyone today. Get published to make everyone stunning. (46)