यजुर्वेद (अध्याय 19)
यदत्र॑ रि॒प्तꣳ र॒सिनः॑ सु॒तस्य॒ यदिन्द्रो॒ऽअपि॑ब॒च्छची॑भिः। अ॒हं तद॑स्य॒ मन॑सा शि॒वेन॒ सोम॒ꣳ राजा॑नमि॒ह भ॑क्षयामि ॥ (३५)
जो रसीला सोम यहां मौजूद है, जिस सोम को इंद्र देव ने पीया, हम उस कल्याणकारी सोम का मन से भक्षण करते हैं. सोम राजा हैं. (३५)
The succulent som that exists here, the soma that Indra Dev drank, we eat that benevolent soma with our heart. Som is the king. (35)