यजुर्वेद (अध्याय 19)
मुख॒ꣳ सद॑स्य॒ शिर॒ऽइत् सते॑न जि॒ह्वा प॒वित्र॑म॒श्विना॒सन्त्सर॑स्वती। चप्यं॒ न पा॒युर्भि॒षग॑स्य॒ वालो॑ व॒स्तिर्न शेपो॒ हर॑सा तर॒स्वी ॥ (८८)
इंद्र देव के इस शरीर में मुख और मस्तक सत्य से पवित्र हैं. सत् से जिह्ला और बाणी पवित्र है. अश््विनीकुमारों और सरस्वती देवी ने इसे पवित्र बनाया है. गुदा मलविसर्जन से शरीर को पवित्र बनाता है. वस्ति और शेष जननेंद्रिय हैं. (८८)
In this body of Indra Dev, the mouth and head are pure with truth. The soul and the bani are sacred. Ashwini kumars and Saraswati Devi have made it sacred. excretion makes the body pure. Vasti and the rest are genital. (88)