यजुर्वेद (अध्याय 20)
अ॒भ्याद॑धामि स॒मिध॒मग्ने॑ व्रतपते॒ त्वयि॑।व्र॒तं च॑ श्र॒द्धां चोपै॑मी॒न्धे त्वा॑ दीक्षि॒तोऽअ॒हम् ॥ (२४)
हे अग्नि! हम आप के लिए समिधा धारते हैं. आप व्रत पति हैं. हम दीक्षित हैं. आप के प्रति व्रत और श्रद्धा समर्पित करते हैं. आप को प्रज्चलित करते हैं. (२४)
O agni! We hold the balance for you. You are a fasting husband. We are Dixits. Dedicate fast and reverence to you. Let's ignite you. (24)