यजुर्वेद (अध्याय 21)
दे॒वं ब॒र्हिः सर॑स्वती सुदे॒वमिन्द्रे॑ऽअ॒श्विना॑।तेजो॒ न चक्षु॑र॒क्ष्योर्ब॒र्हिषा॑ दधुरिन्द्रि॒यं वसु॒॑वने॑ वसु॒धेय॑स्य व्यन्तु॒ यज॑ ॥ (४८)
सरस्वती देवी ने देव सुदेव इंद्र और अशश््विनीकुमारों के लिए कुश का आसन दिया. अश्विनीकुमारों ने इंद्र देव में तेज की स्थापना की. अश््विनीकुमारों ने इंद्र देव की आंखों में दूष्टि की स्थापना की. इंद्र देव धनधारी हैं. हमारे लिए धन धारें. धन के इच्छुक यजमान उस के लिए यज्ञ करने की कृपा करें. (४८)
Saraswati Devi gave the seat of Kush for Dev Sudev Indra and Ashshvinikumaras. Ashwini Kumars established tej in Indra Dev. Ashwini kumars established evil in the eyes of Indra Dev. Indra Dev is rich. Hold money for us. The guests desirous of money should please perform yagna for him. (48)