हरि ॐ

यजुर्वेद (Yajurved)

यजुर्वेद 24.20

अध्याय 24 → मंत्र 20 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

यजुर्वेद:
व॒स॒न्ताय॑ क॒पिञ्ज॑ला॒नाल॑भते ग्री॒ष्माय॑ कल॒विङ्का॑न् व॒र्षाभ्य॑स्ति॒त्तिरी॑ञ्छ॒रदे॒ वर्त्ति॑का हेम॒न्ताय॒ कक॑रा॒ञ्छिशि॑राय॒ विक॑करान् ॥ (२०)
वसंत ऋतु के लिए चातक, गरमी के लिए चटक व वर्षा के लिए तीतर का निर्धारण किया गया है. लवा शरद ऋतु, ककर व शिशिर ऋतु हेतु विककर पक्षियों का निर्धारण किया गया है. (२०)
Chatak for spring, bright for summer and pheasant for rain have been fixed. The birds have been determined by selling for autumn, kakar and shishir seasons. (20)