यजुर्वेद (अध्याय 25)
सु॒गव्यं॑ नो वा॒जी स्वश्व्यं॑ पु॒ꣳसः पु॒त्राँ२ऽउ॒त वि॑श्वा॒पुष॑ꣳ र॒यिम्।अ॒ना॒गा॒स्त्वं नो॒ऽअदि॑तिः कृणोतु क्ष॒त्रं नो॒ऽअश्वो॑ वनता ह॒विष्मा॑न् ॥ (४५)
यह अच्छी तरह देवताओं को प्राप्त कराने वाला है. यह हमें अपने वश में रखे, पुत्र व पौत्र प्रदान करे. हम सब को धन से पुष्ट करे व गरीबी व पाप से दूर रखे. हमें बलवान बनाए. हम इस के लिए हविमान हैं. (४५)
It is going to bring good gods. May it control us, give us sons and grandsons. Strengthen us all with wealth and keep us away from poverty and sin. Make us stronger. We are grateful for this. (45)