हरि ॐ

यजुर्वेद (Yajurved)

यजुर्वेद 26.20

अध्याय 26 → मंत्र 20 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

यजुर्वेद:
अग्ने॒ पत्नी॑रि॒हा व॑ह दे॒वाना॑मुश॒तीरुप॑। त्वष्टा॑र॒ꣳ सोम॑पीतये ॥ (२०)
हे अग्नि! देव पत्ियां भी आहुति चाहती हैं. उन के लिए भी आहुति देते हैं. त्वष्टा देव को आप सोमपान के लिए हमारे पास लाने की कृपा कीजिए. (२०)
O agni! Dev wives also want sacrifices. They also sacrifice for them. Please bring Tvashta Dev to us for Sompan. (20)