हरि ॐ

यजुर्वेद (Yajurved)

यजुर्वेद 27.31

अध्याय 27 → मंत्र 31 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

यजुर्वेद:
वा॒युर॑ग्रे॒गा य॑ज्ञ॒प्रीः सा॒कं ग॒न्मन॑सा य॒ज्ञम्।शि॒वो नि॒युद्भिः॑ शि॒वाभिः॑ ॥ (३१)
हे बायु! आप अग्रगामी, यज्ञ से प्रीति रखने वाले व कल्याणकारी हैं. आप अपने कल्याणकारी घोड़ों को रथ में जोतिए. आप अपने मन के साथ इस यज्ञ में पधारने की कृपा कीजिए. (३१)
O boy! You are a pioneer, a sacrifice-loving and a benefactor. You plough your welfare horses in chariots. Please come to this yajna with your mind. (31)