हरि ॐ

यजुर्वेद (Yajurved)

यजुर्वेद 29.51

अध्याय 29 → मंत्र 51 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

यजुर्वेद:
अहि॑रिव भो॒गैः पर्ये॑ति बा॒हुं ज्याया॑ हे॒तिं प॑रि॒बाध॑मानः।ह॒स्त॒घ्नो विश्वा॑ व॒युना॑नि वि॒द्वान् पुमा॒न् पुमा॑सं॒ परि॑ पातु वि॒श्वतः॑ ॥ (५१)
सांप की तरह बाहु से लिपटता है. प्रत्यंचा के प्रहार को हटाता है. विद्वान्‌ बीर पुरुष सब की सब ओर से रक्षा करता है. वीर सभी शत्रुओं को मार कर रक्षा करता है. (५१)
It wraps its arms like a snake. Removes the blow of pratyacha. The learned man protects everyone from all sides. Veer kills all the enemies and protects them. (51)