हरि ॐ

यजुर्वेद (Yajurved)

यजुर्वेद 31.14

अध्याय 31 → मंत्र 14 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

यजुर्वेद:
यत्पुरु॑षेण ह॒विषा॑ दे॒वा य॒ज्ञमत॑न्वत।व॒स॒न्तोऽस्यासी॒दाज्यं॑ ग्री॒ष्मऽइ॒ध्मः श॒रद्ध॒विः ॥ (१४)
देवताओं ने परम पुरुष को हवि माना. परम पुरुष को हवि मान कर यज्ञ की शुरुआत की. उस यज्ञ में घी वसंत ऋतु, ईधन ग्रीष्म ऋतु एवं हवि शरद ऋतु हो गई. (१४)
The gods considered the Supreme Man to be Havi. In that yajna, ghee became spring, fuel summer season and havi autumn. (14)