यजुर्वेद (अध्याय 33)
अद॑ब्धेभिः सवितः पा॒युभि॒ष्ट्वꣳ शि॒वेभि॑र॒द्य परि॑ पाहि नो॒ गय॑म्।हिर॑ण्यजिह्वः सुवि॒ताय॒ नव्य॑से॒ रक्षा॒ माकि॑र्नोऽअ॒घश॑ꣳसऽ ईशत ॥ (६९)
हे सविता देव! आप हमारे घरों व अपने रक्षासाधनों से हमारी रक्षा व हमारा कल्याण कीजिए. आप सोने की जीभ वाले हैं. हम आप को शीश नवाते हैं. (६९)
O Savita Dev! You protect us and welfare us with our homes and your own resources. You're gold-tongued. We bow to you. (69)