हरि ॐ

यजुर्वेद (Yajurved)

यजुर्वेद 34.48

अध्याय 34 → मंत्र 48 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

यजुर्वेद:
ए॒ष व॒ स्तोमो॑ मरुतऽइ॒यं गीर्मा॑न्दा॒र्यस्य॑ मा॒न्यस्य॑ का॒रोः।एषा या॑सीष्ट त॒न्वे व॒यां वि॒द्यामे॒षं वृ॒जनं॑ जी॒रदा॑नुम् ॥ (४८)
हे मरुदगणो! ये स्तोत्र आप के लिए समर्पित हैं. ये बाणीमयी स्तुतियां आप को आनंदित करने की कृपा करें. ये स्तुतियां माननीय व श्रेष्ठ फलदायी है. आप पधारिए. हमें इष्ट सुख, विद्या, अन्न व आयु प्रदान कीजिए. (४८)
O Marudagano! These hymns are dedicated to you. Please make you happy these banimayi praises. These praises are honorable and best fruitful. You come. Give us the desired happiness, education, food and age. (48)