हरि ॐ

यजुर्वेद (Yajurved)

यजुर्वेद 4.26

अध्याय 4 → मंत्र 26 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

यजुर्वेद:
शु॒क्रं त्वा॑ शु॒क्रेण॑ क्रीणामि च॒न्द्रं च॒न्द्रेणा॒मृत॑म॒मृते॑न। स॒ग्मे ते॒ गोर॒स्मे ते॑ च॒न्द्राणि॒ तप॑सस्त॒नूर॑सि प्र॒जाप॑ते॒र्वर्णः॑ पर॒मेण॑ प॒शुना॑ क्रीयसे सहस्रपो॒षं पु॑षेयम् ॥ (२६)
हे सोम! आप चमकीले हैं. हम आप को चमकते हुए सोने से खरीदते हैं (अपना बनाते हैं). आप चंद्रमा के समान मन प्रसन्न करने बाले हैं. आप अमृत जैसे हैं. गोरों और चमकते हुए तपस्वियों के शरीर प्रजापति के रंग जैसे हो जाएं. हम परम पशुधन से आप को खरीदते हैं. आप हजारों का पालनपोषण करने में समर्थ हैं. आप हमारा भी पालनपोषण कीजिए. (२६)
O Mon! You're bright. We buy you from shining gold (make your own). You are as pleasing as the moon. You are like nectar. The bodies of whites and shining ascetics should become like the color of Prajapati. We buy you from the ultimate livestock. You are able to nurture thousands. You nurture us too. (26)