यजुर्वेद (अध्याय 40)
ई॒शा वा॒स्यमि॒दंꣳ सर्वं॒ यत्किञ्च॒ जग॑त्यां॒ जग॑त्।तेन॑ त्य॒क्तेन॑ भुञ्जीथा॒ मा गृ॑धः॒ कस्य॑ स्वि॒द्धन॑म् ॥ (१)
इस जड़चेतन जगत् में जो कुछ भी है, वह ईश्वर की कृपा से है. उस ईश्वर के द्वारा त्यागे गए का भोग कीजिए. बहुत ज्यादा लालच मत करो. यह धनादि सब किस का है? (अर्थात् ईश्वर के अलावा किसी का नहीं). (१)
Whatever is in this root conscious world is by the grace of God. Enjoy the one forsaken by that God. Don't covet too much. Whose wealth all this belongs to? (i.e. of none other than God). (1)