हरि ॐ

यजुर्वेद (Yajurved)

यजुर्वेद 5.10

अध्याय 5 → मंत्र 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

यजुर्वेद:
सि॒ह्यसि सपत्नसा॒ही दे॒वेभ्यः॑ कल्पस्व सि॒ह्यसि सपत्नसा॒ही दे॒वेभ्यः॑ शुन्धस्व सि॒ह्यसि सपत्नसा॒ही दे॒वेभ्यः॑ शुम्भस्व ॥ (१०)
हे उत्तरवेदिका! आप सिंहिनी की तरह शन्रुनाशी हैं. आप देवताओं के लिए भी कल्पित होने वाली हैं. आप देवताओं के लिए शुद्ध होने की कृपा कीजिए. आप सिंहिनी की तरह शत्रुनाशी हैं. आप देवताओं के लिए शुद्ध होने की कृपा कीजिए. (१०)
O North Vedika! You are a peacemaker like a lioness. You are also going to be imagined for the gods. Please be pure for the gods. You are an enemy like a lioness. Please be pure for the gods. (10)