यजुर्वेद (अध्याय 7)
मि॒त्रावरु॑णाभ्यां त्वा देवा॒व्यं य॒ज्ञस्यायु॑षे गृह्णा॒मीन्द्रा॑य त्वा देवा॒व्यं य॒ज्ञस्यायु॑षे गृह्णा॒मीन्द्रा॒ग्निभ्यां॑ त्वा देवा॒व्यं य॒ज्ञस्यायु॑षे गृह्णा॒मीन्द्रा॒वरु॑णाभ्यां त्वा देवा॒व्यं य॒ज्ञस्यायु॑षे गृह्णा॒मीन्द्रा॒बृह॒स्पति॑भ्यां त्वा देवा॒व्यं य॒ज्ञस्यायु॑षे गृह्णा॒मीन्द्रा॒विष्णु॑भ्यां त्वा देवा॒व्यं य॒ज्ञस्यायु॑षे गृह्णामि ॥ (२३)
हे सोम! मित्र और बरुण देव के लिए आप को ग्रहण किया गया है. दीर्घ आयु हेतु मित्र और वरुण देव के लिए आप को ग्रहण किया गया है. हे सोम! इंद्र देव के लिए आप को ग्रहण किया है. हम ने इंद्र देव और अग्नि के लिए आप को ग्रहण किया है. वरुण देव के लिए आप को ग्रहण किया गया है. हे सोम! बृहस्पति देव के लिए आप को ग्रहण किया गया है. हे सोम! विष्णु के लिए आप को ग्रहण किया गया है. (२३)
O Mon! You have been accepted for friend and Barun Dev. You have been accepted for long life as a friend and Varun Dev. O Mon! Indra dev has received you. We have received you for Indra Dev and Agni. You have been accepted for Varun Dev. O Mon! Jupiter has been eclipsed for you. O Mon! You have been accepted for Vishnu. (23)