हरि ॐ

यजुर्वेद (Yajurved)

यजुर्वेद 8.22

अध्याय 8 → मंत्र 22 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

यजुर्वेद:
यज्ञ॑ य॒ज्ञं ग॑च्छ य॒ज्ञप॑तिं गच्छ॒ स्वां योनिं॑ गच्छ॒ स्वाहा॑। ए॒ष ते॑ य॒ज्ञो य॑ज्ञपते स॒हसू॑क्तवाकः॒ सर्व॑वीर॒स्तं जु॑षस्व॒ स्वाहा॑ ॥ (२२)
हे यज्ञ देव! आप यज्ञ की ओर जाइए. आप यज्ञपति को प्राप्त होइए. आप अपने मूल स्थान को जाइए. यह आप का यज्ञ है. आप यज्ञपति के पास जाइए. हम आप को आहुति भेंट करते हैं. हम हजारों वाणियों से आप की स्तुति करते हैं. आप सर्वाधिक वीर हैं. हम इस यज्ञ में आप के लिए आहुति अर्पित करते हैं. (२२)
O God! You go towards yajna. You get the sacrifice. Go to your native place. This is your sacrifice. You go to Yajnapati. We offer sacrifices to you. We praise you with thousands of words. You are the most brave. We offer sacrifices for you in this yajna. (22)