हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.101.11

मंडल 1 → सूक्त 101 → श्लोक 11 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 101
म॒रुत्स्तो॑त्रस्य वृ॒जन॑स्य गो॒पा व॒यमिन्द्रे॑ण सनुयाम॒ वाज॑म् । तन्नो॑ मि॒त्रो वरु॑णो मामहन्ता॒मदि॑तिः॒ सिन्धुः॑ पृथि॒वी उ॒त द्यौः ॥ (११)
मरुतों के साथ स्तुति किए जाने वाले एवं शत्रुहंता इंद्र के द्वारा सुरक्षित हम उनसे अन्न प्राप्त करें. मित्र, वरुण, अदिति, सिंधु, पृथ्वी और आकाश उस अन्न की पूजा करें. (११)
Let us get food from the maruts who are praised with the maruts and protected by the enemy Indra. Friends, Varuna, Aditi, Sindhu, Prithvi and Akash worship that food. (11)