हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.101.3

मंडल 1 → सूक्त 101 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 101
यस्य॒ द्यावा॑पृथि॒वी पौंस्यं॑ म॒हद्यस्य॑ व्र॒ते वरु॑णो॒ यस्य॒ सूर्यः॑ । यस्येन्द्र॑स्य॒ सिन्ध॑वः॒ सश्च॑ति व्र॒तं म॒रुत्व॑न्तं स॒ख्याय॑ हवामहे ॥ (३)
हम मित्र बनाने हेतु इंद्र को मरुतों के साथ बुलाते हैं. द्यौ, पृथिवी, सूर्य, वरुण एवं नदियां उनके नियम मानते हैं. (३)
We call Indra with the Maruts to make friends. The díau, prithvi, sun, varuna and rivers obey their laws. (3)