हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.101.5

मंडल 1 → सूक्त 101 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 101
यो विश्व॑स्य॒ जग॑तः प्राण॒तस्पति॒र्यो ब्र॒ह्मणे॑ प्रथ॒मो गा अवि॑न्दत् । इन्द्रो॒ यो दस्यू॒ँरध॑राँ अ॒वाति॑रन्म॒रुत्व॑न्तं स॒ख्याय॑ हवामहे ॥ (५)
जो चलने वाले एवं सांस लेने वाले प्राणियों के स्वामी हैं, जिन्होंने पणि द्वारा अपहृत गायों का सभी देवों से पहले ब्राह्मणों के निमित्त उद्धार किया था एवं जिन्होंने असुरों को निकृष्ट बनाकर मारा था, उन्हीं इंद्र को हम अपना सखा बनाने के लिए मरुतों के साथ बुलाते हैं. (५)
We call indra, the one who is the lord of the walking and breathing creatures, who saved the cows abducted by Pani for the sake of Brahmins before all the gods and who killed the asuras by making them inferior, we call the same Indra with the Maruts to make them our sakha. (5)