ऋग्वेद (मंडल 1)
अ॒द्या दे॑वा॒ उदि॑ता॒ सूर्य॑स्य॒ निरंह॑सः पिपृ॒ता निर॑व॒द्यात् । तन्नो॑ मि॒त्रो वरु॑णो मामहन्ता॒मदि॑तिः॒ सिन्धुः॑ पृथि॒वी उ॒त द्यौः ॥ (६)
हे सूर्यकिरणो! इस सूर्योदय के समय हमें पापों से बचाओ. मित्र, वरुण, अदिति, सिंधु, पृथ्वी एवं आकाश हमारी इस प्रार्थना को स्वीकार करें. (६)
O sun! Save us from sins at this sunrise. Friends, Varun, Aditi, Sindhu, Prithvi and Akash accept our prayer. (6)