हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.117.16

मंडल 1 → सूक्त 117 → श्लोक 16 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 117
अजो॑हवीदश्विना॒ वर्ति॑का वामा॒स्नो यत्सी॒ममु॑ञ्चतं॒ वृक॑स्य । वि ज॒युषा॑ ययथुः॒ सान्वद्रे॑र्जा॒तं वि॒ष्वाचो॑ अहतं वि॒षेण॑ ॥ (१६)
हे अश्विनीकुमारो! वर्तिका ने उस समय तुम दोनों का आह्वान किया था, जिस समय तुमने वृक के मुख से उसे बचाया था. तुम अपने जयशील रथ द्वारा जाहुष को लेकर पर्वत की चोटियों पर चले गए थे एवं विष्वाच राक्षस के पुत्र को तुमने विष से मारा था. (१६)
O Ashwinikumaro! Vartika invoked both of you at the time you saved her from the mouth of the kidney. You went to the tops of the mountain with jahush by your jaisheel chariot and you killed the son of the demon Poison with poison. (16)