हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.118.6

मंडल 1 → सूक्त 118 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 118
उद्वन्द॑नमैरतं दं॒सना॑भि॒रुद्रे॒भं द॑स्रा वृषणा॒ शची॑भिः । निष्टौ॒ग्र्यं पा॑रयथः समु॒द्रात्पुन॒श्च्यवा॑नं चक्रथु॒र्युवा॑नम् ॥ (६)
हे दर्शनीय एवं कामवर्षको! तुमने वंदन ऋषि को कुएं से निकाला था. तुग्र के पुत्र भुज्यु को सागर से पार किया तथा च्यवन ऋषि को दोबारा युवक बनाया. (६)
O you who are visible and workable! You took out the sage Vandan from the well. He crossed bhuju, the son of Tugrah, through the sea and made the sage Chyavan a young man again. (6)