ऋग्वेद (मंडल 1)
यु॒वं धे॒नुं श॒यवे॑ नाधि॒तायापि॑न्वतमश्विना पू॒र्व्याय॑ । अमु॑ञ्चतं॒ वर्ति॑का॒मंह॑सो॒ निः प्रति॒ जङ्घां॑ वि॒श्पला॑या अधत्तम् ॥ (८)
हे अश्चिनीकुमारो! तुमने अपने प्राचीन याचक शंयु ऋषि के लिए गाय को दुधारू किया था. तुमने वर्तिका को पाप से बचाया एवं विश्पला को दूसरी जंघा लगाई थी. (८)
O aschinikumaro! You had milched the cow for your ancient yachak shanyu sage. You saved Vartika from sin and gave Vishpala another thigh. (8)