ऋग्वेद (मंडल 1)
ता वि॒द्वांसा॑ हवामहे वां॒ ता नो॑ वि॒द्वांसा॒ मन्म॑ वोचेतम॒द्य । प्रार्च॒द्दय॑मानो यु॒वाकुः॑ ॥ (३)
तुम सर्वज्ञों को हम बुलाते हैं. हे अभिज्ञो! तुम आज हमें ज्ञातव्य स्तोत्र बताओ. तुम्हारी कामना करता हुआ मैं तुमको हव्य देकर भली-भांति स्तुति करता हूं. (३)
You omniscient we call. O you know! You tell us the known hymn today. While wishing you, I praise you well. (3)