ऋग्वेद (मंडल 1)
सु॒गुर॑सत्सुहिर॒ण्यः स्वश्वो॑ बृ॒हद॑स्मै॒ वय॒ इन्द्रो॑ दधाति । यस्त्वा॒यन्तं॒ वसु॑ना प्रातरित्वो मु॒क्षीज॑येव॒ पदि॑मुत्सि॒नाति॑ ॥ (२)
यह स्वनय राजा बहुत सी गायों, स्वर्ण और घोड़ों का स्वामी है. इंद्र इन्हें अतुल संपत्ति दें. जिस प्रकार पशु-पक्षी आदि को रस्सी से बांध लिया जाता है, उसी प्रकार राजा ने प्रातःकाल ही पैदल आकर जाने वाले यात्री कक्षीवान् को जाने नहीं दिया. (२)
This golden king is the lord of many cows, gold and horses. Indra give them incredible property. Just as animals and birds, etc., are tied with a rope, the king did not allow the pilgrim, who came on foot in the morning, to leave. (2)