हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.125.6

मंडल 1 → सूक्त 125 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 125
दक्षि॑णावता॒मिदि॒मानि॑ चि॒त्रा दक्षि॑णावतां दि॒वि सूर्या॑सः । दक्षि॑णावन्तो अ॒मृतं॑ भजन्ते॒ दक्षि॑णावन्तः॒ प्र ति॑रन्त॒ आयुः॑ ॥ (६)
दान देने वाले व्यक्ति को धरती पर दृश्यमान वस्तुएं प्राप्त होती हैं एवं सूर्यादि लोक समृद्ध होते हैं. दाता जरामरण-रहित दीर्घ आयु प्राप्त करके अमर बनता है. (६)
The donor receives visible objects on the earth and the sun-adi folk are rich. The donor becomes immortal by attaining a long lifespan without germination. (6)