ऋग्वेद (मंडल 1)
ए॒ष च्छागः॑ पु॒रो अश्वे॑न वा॒जिना॑ पू॒ष्णो भा॒गो नी॑यते वि॒श्वदे॑व्यः । अ॒भि॒प्रियं॒ यत्पु॑रो॒ळाश॒मर्व॑ता॒ त्वष्टेदे॑नं सौश्रव॒साय॑ जिन्वति ॥ (३)
समस्त देवों के लिए उपयोगी, पर पूषा का अंश वह बकरा शीघ्र गतिशाली अश्व के सामने लाया जाता है. घोड़े के साथ इस बकरे को प्रयोग करके त्वष्टा देव के लिए स्वादिष्ट भोजन रूप पुरोडाश बनाया जाए. (३)
Useful to all gods, but the portion of the pusha is brought before the fast-moving horse. Using this goat with a horse, make a tasty food form for the skin god. (3)