ऋग्वेद (मंडल 1)
होता॑ध्व॒र्युराव॑या अग्निमि॒न्धो ग्रा॑वग्रा॒भ उ॒त शंस्ता॒ सुवि॑प्रः । तेन॑ य॒ज्ञेन॒ स्व॑रंकृतेन॒ स्वि॑ष्टेन व॒क्षणा॒ आ पृ॑णध्वम् ॥ (५)
होता, अध्वर्यु, आवया, अग्निमिध, ग्रावाग्राम, शंस्ता एवं सुविप्र उस प्रसिद्ध एवं भली- भांति अलंकृत यज्ञ द्वारा नदियों को जल से भरें. (५)
If, adhwaryu, avya, agnimidh, grawagram, santha and subipra fill the rivers with water by that famous and well-groomed yajna. (5)