ऋग्वेद (मंडल 1)
स्वादो॑ पितो॒ मधो॑ पितो व॒यं त्वा॑ ववृमहे । अ॒स्माक॑मवि॒ता भ॑व ॥ (२)
हे स्वादिष्ट एवं मधुर पितः! हम तुम्हारी स्तुति करते हैं. तुम हमारे रक्षक बनो. (२)
O delicious and sweet drink! We praise you. You be our protector. (2)
मंडल 1 → सूक्त 187 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation