ऋग्वेद (मंडल 1)
उदु॑त्त॒मं व॑रुण॒ पाश॑म॒स्मदवा॑ध॒मं वि म॑ध्य॒मं श्र॑थाय । अथा॑ व॒यमा॑दित्य व्र॒ते तवाना॑गसो॒ अदि॑तये स्याम ॥ (१५)
हे वरुण! मेरे सिर में बंधे हुए फंदे को ऊपर से और पैरों में बंधे हुए फंदे को नीचे से खोल दो तथा कमर में बंधे हुए फंदे को बीच में ढीला कर दो. हे अदितिपुत्र वरुण! हम तुम्हारे यज्ञ में सतत संलग्न रहकर पापमुक्त हो जाएंगे. (१५)
Hey Varun! Open the noose tied to my head from above and the noose tied in the legs from the bottom and loose the noose tied in the waist in the middle. O Aditiputra Varun! We will be freed from sin by constantly engaging in your yajna. (15)