हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.25.17

मंडल 1 → सूक्त 25 → श्लोक 17 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 25
सं नु वो॑चावहै॒ पुन॒र्यतो॑ मे॒ मध्वाभृ॑तम् । होते॑व॒ क्षद॑से प्रि॒यम् ॥ (१७)
हे वरुण! मधुर रस वाला मेरा हव्य तैयार है. तुम होता के समान उस हव्य का भक्षण करो. इसके पश्चात्‌ हम लोग आपस में बातें करेंगे. (१७)
Hey Varun! My havya with sweet juice is ready. Eat that havya like you would. After that, we will talk to each other. (17)