हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.27.3

मंडल 1 → सूक्त 27 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 27
स नो॑ दू॒राच्चा॒साच्च॒ नि मर्त्या॑दघा॒योः । पा॒हि सद॒मिद्वि॒श्वायुः॑ ॥ (३)
हे अग्नि! तुम सर्वत्र गमन करने में समर्थ हो. तुम हमारा अनिष्ट करने वाले पापाचारी मनुष्यों से दूर एवं समीप देश में हमारी रक्षा करो. (३)
O agni! You are able to travel everywhere. Protect us in the land near and away from the papacy who do us evil. (3)