हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.30.3

मंडल 1 → सूक्त 30 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 30
सं यन्मदा॑य शु॒ष्मिण॑ ए॒ना ह्य॑स्यो॒दरे॑ । स॒मु॒द्रो न व्यचो॑ द॒धे ॥ (३)
पहले बताया हुआ सोमरस बलशाली इंद्र को प्रसन्न करने के लिए एकत्रित हुआ है. इसके द्वारा इंद्र का सागर के समान विस्तृत उदर भर जाता है. (३)
The somras mentioned earlier have gathered to please the mighty Indra. Through this, Indra's wide abdomen is filled like the ocean. (3)