हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.30.6

मंडल 1 → सूक्त 30 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 30
ऊ॒र्ध्वस्ति॑ष्ठा न ऊ॒तये॒ऽस्मिन्वाजे॑ शतक्रतो । सम॒न्येषु॑ ब्रवावहै ॥ (६)
हे सौ यज्ञ करने वाले इंद्र! इस संग्राम में हमारी रक्षा करने के लिए तत्पर रहो. दूसरे कार्यो के विषय में हम और तुम मिलकर बातचीत करेंगे. (६)
O Indra, who performs a hundred sacrifices! Look forward to protecting us in this battle. We and you will talk together about other tasks. (6)