हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.36.6

मंडल 1 → सूक्त 36 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 36
त्वे इद॑ग्ने सु॒भगे॑ यविष्ठ्य॒ विश्व॒मा हू॑यते ह॒विः । स त्वं नो॑ अ॒द्य सु॒मना॑ उ॒ताप॒रं यक्षि॑ दे॒वान्सु॒वीर्या॑ ॥ (६)
हे युवक अग्नि! तुझ परम सौभाग्यशाली को लक्ष्य करके सब हव्य दिए जाते हैं. तुम प्रसन्न मन होकर आज, कल और सर्वदा सुंदर एवं शक्तिशाली देवों का यज्ञ करो. (६)
O young man, agni! All the rights are given by aiming at your most fortunate. You, with a happy mind, perform the yajna of the beautiful and powerful gods today, tomorrow and always. (6)