हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.46.4

मंडल 1 → सूक्त 46 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 46
ह॒विषा॑ जा॒रो अ॒पां पिप॑र्ति॒ पपु॑रिर्नरा । पि॒ता कुट॑स्य चर्ष॒णिः ॥ (४)
हे नेता रूप अश्चिनीकुमारो! दयापूर्ण स्वभाव, पालक, यज्ञकर्म के दर्शक एवं अपने ताप से जल को सुखाने वाले सविता हमारे द्वारा हव्य से देवों को प्रसन्न करें. (४)
O leader as Ashchinikumaro! May savita, who has a compassionate nature, a guardian, a spectator of yajnakarma and who dries up the water with her heat, please the gods with our heart. (4)