हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.50.10

मंडल 1 → सूक्त 50 → श्लोक 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 50
उद्व॒यं तम॑स॒स्परि॒ ज्योति॒ष्पश्य॑न्त॒ उत्त॑रम् । दे॒वं दे॑व॒त्रा सूर्य॒मग॑न्म॒ ज्योति॑रुत्त॒मम् ॥ (१०)
रात्रि के अंधकार के ऊपर उठी ज्योति को देखकर हम समस्त देवों में अधिक प्रकाशयुक्त सूर्य के समीप जाते हैं. सूर्य ही सबसे उत्तम ज्योति वाले हैं. (१०)
Seeing the light above the darkness of the night, we go closer to the sun with more light in all the gods. The sun is the best light. (10)