हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.67.3

मंडल 1 → सूक्त 67 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 67
हस्ते॒ दधा॑नो नृ॒म्णा विश्वा॒न्यमे॑ दे॒वान्धा॒द्गुहा॑ नि॒षीद॑न् ॥ (३)
समस्त हव्यरूप धन अपने हाथ में लेकर अग्नि के गुफा में छिप जाने पर सभी देव भयभीत हो गए. नेता एवं बुद्धिधारक देवों ने ज्यों ही बुद्धि निर्मित मंत्रों द्वारा अग्नि की स्तुति की, त्यों ही अग्नि को पा लिया. (३)
All the devas became frightened when agni hide in the cave with all the heavenly wealth. As soon as the leaders and the wise deities praised Agni through intellect-made mantras, they attained Agni. (3)