ऋग्वेद (मंडल 1)
न वेप॑सा॒ न त॑न्य॒तेन्द्रं॑ वृ॒त्रो वि बी॑भयत् । अ॒भ्ये॑नं॒ वज्र॑ आय॒सः स॒हस्र॑भृष्टिराय॒तार्च॒न्ननु॑ स्व॒राज्य॑म् ॥ (१२)
वृत्र अपने कंपन से इंद्र को नहीं डरा पाया. इंद्र द्वारा छोड़ा हुआ लौह निर्मित एवं हजार धारों वाला वज्र वृत्र को मारने के लिए उसकी ओर गया. इस प्रकार इंद्र ने अपना प्रभुत्व प्रदर्शित किया. (१२)
Vritra could not scare Indra with his vibrations. The iron-made and thousand-edged vajra left by Indra went towards him to kill Vritra. Thus Indra displayed his dominance. (12)