हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.81.2

मंडल 1 → सूक्त 81 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 81
असि॒ हि वी॑र॒ सेन्योऽसि॒ भूरि॑ पराद॒दिः । असि॑ द॒भ्रस्य॑ चिद्वृ॒धो यज॑मानाय शिक्षसि सुन्व॒ते भूरि॑ ते॒ वसु॑ ॥ (२)
हे वीर इंद्र! तुम अकेले होने पर भी सेना के समान हो. तुम शत्रुओं के विपुल धन को छीन लेते हो एवं अपने अल्प स्तुतिकर्ता को भी बढ़ाते हो. तुम यज्ञ करने वाले सोमरसदाता को अपेक्षित धन देते हो, क्योंकि तुम्हारे पास बहुत धन है. (२)
O brave Indra! You're the same as the army even when you're alone. You take away the riches of the enemies and increase your little praiseor. You give the required money to the somarsadata who performs the yajna, because you have a lot of money. (2)