हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.81.9

मंडल 1 → सूक्त 81 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 81
ए॒ते त॑ इन्द्र ज॒न्तवो॒ विश्वं॑ पुष्यन्ति॒ वार्य॑म् । अ॒न्तर्हि ख्यो जना॑नाम॒र्यो वेदो॒ अदा॑शुषां॒ तेषां॑ नो॒ वेद॒ आ भ॑र ॥ (९)
हे इंद्र! तुम्हारे यजमान सबके उपभोग योग्य हवि को बढ़ाते हैं. हे समस्त ज॑तुओं के स्वामी! तुम हव्य न देने वालों का धन जानते हो. उनका धन हमें प्रदान करो. (९)
O Indra! Your hosts increase everyone's consumable. O lord of all the worlds! You know the wealth of those who do not give the money. Give us their money. (9)