हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 1.9.6

मंडल 1 → सूक्त 9 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 1)

ऋग्वेद: | सूक्त: 9
अ॒स्मान्सु तत्र॑ चोद॒येन्द्र॑ रा॒ये रभ॑स्वतः । तुवि॑द्युम्न॒ यश॑स्वतः ॥ (६)
हे अधिक संपत्ति वाले इंद्र! धन की सिद्धि के लिए हमें यज्ञ रूपी कर्म की प्रेरणा दो. हम उद्योगशील एवं कीर्ति वाले हों. (६)
O Indra with more wealth! For the accomplishment of wealth, give us the inspiration of karma in the form of yagya. May we be industrialists and those of fame. (6)