ऋग्वेद (मंडल 1)
त्रीणि॒ जाना॒ परि॑ भूषन्त्यस्य समु॒द्र एकं॑ दि॒व्येक॑म॒प्सु । पूर्वा॒मनु॒ प्र दिशं॒ पार्थि॑वानामृ॒तून्प्र॒शास॒द्वि द॑धावनु॒ष्ठु ॥ (३)
समुद्र, आकाश और अंतरिक्ष-ये अग्नि के तीन जन्मस्थान हैं. सूर्यरूप अग्नि ने ऋतुओं को विभक्त करके बताते हुए पृथ्वी पर रहने वाले समस्त प्राणियों के निमित्त पूर्व दिशा को अनुक्रम से बनाया. (३)
The sea, the sky, and the space are the three birthplaces of agni. The sun-form agni divided the seasons and made the east direction in a sequence for all the beings living on earth. (3)