हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.102.2

मंडल 10 → सूक्त 102 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 102
उत्स्म॒ वातो॑ वहति॒ वासो॑ऽस्या॒ अधि॑रथं॒ यदज॑यत्स॒हस्र॑म् । र॒थीर॑भून्मुद्ग॒लानी॒ गवि॑ष्टौ॒ भरे॑ कृ॒तं व्य॑चेदिन्द्रसे॒ना ॥ (२)
मुदगलानी ने जिस समय रथ पर बैठकर हमारी गायों को जीता, उसी समय वायु ने उसका वस्त्र हिलाया. गायों के जीतने वाले इस युद्ध में वह रथ पर बैठी थी. इंद्रसेना नाम की वह मुदगल पत्नी युद्ध में शत्रुओं से गाएं छीन लाई. (२)
At the time that Mudgalani sat on the chariot and won our cows, the wind shook her robe. In this winning battle for cows, she was sitting on the chariot. That Mudgal consort named Indrasena snatched the cows from the enemies in the war. (2)