हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.119.5

मंडल 10 → सूक्त 119 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 119
अ॒हं तष्टे॑व व॒न्धुरं॒ पर्य॑चामि हृ॒दा म॒तिम् । कु॒वित्सोम॒स्यापा॒मिति॑ ॥ (५)
त्वष्टा जिस प्रकार रथ में सारथि के बैठने का स्थान बनाता है, उसी प्रकार मैं स्तोता के मन में स्तुति उत्पन्न करता हूं. मैं अनेक बार सोमपान कर चुका हूं. (५)
Just as the tvastha makes a place for the charioteer to sit, so I evoke praise in the mind of the stotha. I've been to sompan several times. (5)