हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.163.4

मंडल 10 → सूक्त 163 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 163
ऊ॒रुभ्यां॑ ते अष्ठी॒वद्भ्यां॒ पार्ष्णि॑भ्यां॒ प्रप॑दाभ्याम् । यक्ष्मं॒ श्रोणि॑भ्यां॒ भास॑दा॒द्भंस॑सो॒ वि वृ॑हामि ते ॥ (४)
हे रोगी! मैं तुम्हारी जंघाओं, घुटनों, टखनों, पंजों, नितंबों, कमर एवं गुदा से यक्ष्मा रोग को बाहर निकालता हूं. (४)
Oh patient! I flush out tuberculosis from your thighs, knees, ankles, toes, buttocks, waist and anus. (4)